कौमी एकता दल के विलय के बाद कितने नफे कितने नुकसान में रहेगी बसपा.

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Ansari brothers joined BSP

बाहुबली मुख्तार अंसारी के लिए जब सपा के दरवाजे बंद हो गए तो उन्होंने साइकिल छोड़ कर हाथी की सवारी करना ही सही लगा. कौमी एकता दल जिसके कारण सपा की रार सार्वजनिक हुई थी अब बसपा में विलय करा चूका हैं. कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्तार अंसारी के भाई अफज़ल अंसारी ने ब्रहस्पतिवार को बसपा के साथ कौमी एकता दल का विलय करा दिया हैं.

Ansari brothers joined BSP

बसपा सुप्रीमो मायावती प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था पर अखिलेश सरकार को घेरती आयी हैं. लेकिन अब जब मुख्तार अंसारी जैसे माफिया को मायावती ने अपनी पार्टी में जगह दे दी हैं तब मायावती किस प्रकार कानून व्यवस्था बनाये रखेंगी. जब से मुख्तार अंसारी व उनका परिवार बसपा में साहिल हुआ है तब से सोशल मीडिया पर एक नारा बहुत तेजी से वायरल हो रहा है “चढ़ गये गुंडे हाथी पर, गोली लगेगी छाती पर.” ये भी किसी से छिपा नहीं हैं कि मायावती ने अंसारी बंधुओं को अपने दल में इसलिए शामिल किया हैं जिससे मुस्लिम वोट बसपा को अधिक मिलें. निस्संदेह पूर्वांचल की वे सीट जहाँ अंसारी बंधुओं की तूती बोलती हैं वहां बसपा को फायदा भी होगा. लेकिन ये भी तय हैं कि मुख्तार अंसारी अपराधी को पार्टी में फिर से बुलाकर मायावती ने अपनी पार्टी की “ब्रांड इमेज” को खराब ही किया हैं.

उत्तर प्रदेश के इन चुनावों में माफिया मुख्तार अंसारी को बसपा में शामिल करके मायावती ने ठीक ऐसा ही जुआ खेला हैं जैसा कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय दल होने के बाद भी सपा जैसे क्षेत्रीय दल से गठबंधन कर के खेला हैं. सपा कांग्रेस के गठजोड़ के बाद मायावती का दलित मुस्लिम समीकरण कमज़ोर पड़ने लगा था शायद इसीलिए मायावती को कौमी एकता दल का बसपा में विलय करना पड़ा.

मुख्तार अंसारी की छवि एक क्रिमिनल की रही हैं. इस कारण बहुत से पढ़े लिखे मुस्लिम इन्हें पसंद भी नहीं करते. सपा से जिस तरह से कौमी एकता दल को ठुकराया गया उससे भी अंसारी बंधुओं के नाम को ठेस पहुँची हैं. लेकिन यहाँ बड़ा मुद्दा बसपा की साख का हैं. अंसारी बंधुओं के बसपा में  आजाने से ऐसे लोग शायद मायावती का साथ छोड़ दें जो कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के नाम पर मायावती के साथ थे.

मुस्लिम यूपी में एक चौथाई वोटों की हिस्सेदारी रखते हैं. मायावती का कौमी एकता दल के विलय का फैसला कितना सही हैं ये तो अब मतगणना के बाद ही पता चलेगा.

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