कारगिल युद्ध भारत के इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में से एक है। 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध में भारत की वीर सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को मिट्टी में मिला दिया था। इस युद्ध में हज़ारों वीर भारतीय जवान हस्ते-हस्ते भारत माता की रक्षा के लिए शहीद हो गए। आज के हमारे इस लेख में हम आपको कारगिल युद्ध के एक ऐसे वीर जवान के बारे में बताने वाले हैं जिनकी बहादुरी के बारे में सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
आज हम आपको सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव जी के बारे में बताने वाले हैं। योगेंद्र सिंह यादव कारगिल युद्ध के सबसे बड़े वीरों में से एक हैं। केवल 19 साल की उम्र में योगेंद्र सिंह यादव मातृभूमि की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में शामिल हो गए थे। इस दौरान उनको और उनके साथियों को टाइगर हिल नाम की चोटी पर तिरंगा लहराने का आदेश मिला। आदेशों के मुताबिक योगेंद्र सिंह अपने साथियों के साथ टाइगर हिल की ओर चल दिये लेकिन बीच रास्ते में ही पाकिस्तानी सैनिकों ने उनपर हलमा कर दिया। खड़ी चट्टान होने के कारण बहुत से भारतीय सैनिक इस हमले में मौके पर शहीद हो गए। योगेंद्र सिंह को भी इस दौरान शरीर पर 15 गोलियां लगी लेकिन इसके बाद भी 19 साल के बहादुर नौजवान योगेंद्र सिंह यादव ने हिम्मत नहीं हारी। पूरी तरह ज़ख्मी होने के बावजूद भी योगेंद्र सिंह यादव ने पाकिस्तानी सैनिकों का मुहतोड़ जवाब देने का फैसला किया। उन्होंने अपनी चोटिल लात पर रुमाल और चोटिल बाजू पर बेल्ट बांदकर बहुत ही बहदुरी के साथ टाइगर हिल पर मौजूद पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। इस दौरान वीर योगेंद्र सिंह यादव ने अकेले चार पाकिस्तानी सैनिकों को मिट्टी में मिला दिया। वह इतने पर भी नहीं रुके ! इसके बाद उन्होंने पाकिस्तानी कैंप में मौजूद ऑटोमैटिक मशीन गन को भी बंद किया जिसके चलते दूसरे भारतीय जवान टाइगर हिल पर पहुँच पाये। योगेंद्र सिंह यादव जी को अपनी इस बहादुरी के लिए परम वीर चक्र के साथ भी नवाज़ा गया था और परम वीर चक्र पाने वाले वह सबसे युवा सैनिक बने थे।
तो यह थी बहादुर योगेंद्र सिंह यादव की वीरगाथा। इस समय योगेंद्र सिंह यादव भारतीय सेना में सूबेदार मेजर के पद पर हैं और हम सब उनकी बहादुरी को सलाम करते हैं और वह हम सबके लिए एक बहुत ही बड़ी प्रेरणा हैं।